Sunday, November 13, 2011

आशाओं का संसार


घर के आँगन में
एक पौधा उगा
चेहरा
मुस्कान से भरा
मन में आशाओं का
संसार जगा
एक दिन
फूलों से लदेगा
सारा घर महकेगा
निरंतर
अतिवृष्टी ने हाहाकार
मचाया
पौधा सह ना पाया
समय से पहले
काल कवलित हुआ
मन निराशा में
व्यथित हुआ
भूल गया
हर सपना पूरा
नहीं होता
आशा निराशा का
साथ होता
आवश्यकता से
अधिक मिलना
विनाशकारी होता
12-11-2011
1783-54-11-11

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