घर के आँगन में
एक पौधा उगा
चेहरा
मुस्कान से भरा
मन में आशाओं का
संसार जगा
एक दिन
फूलों से लदेगा
सारा घर महकेगा
निरंतर
अतिवृष्टी ने हाहाकार
मचाया
पौधा सह ना पाया
समय से पहले
काल कवलित हुआ
मन निराशा में
व्यथित हुआ
भूल गया
हर सपना पूरा
नहीं होता
आशा निराशा का
साथ होता
आवश्यकता से
अधिक मिलना
विनाशकारी होता
12-11-2011
1783-54-11-11
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