Friday, November 11, 2011

वक़्त इतना बेरहम क्यूं हो गया ?


वक़्त इतना
बेरहम क्यूं  हो गया?
क्यूं ठहर गया?
खुदा जाने
दुआ भी करता हूँ ,
इबादत भी करता हूँ
फिर क्यों नहीं सुनता?
खुदा जाने
कब तक करेगा हैरान
मर मर कर जिलाएगा
खुदा जाने
कब तक रुलाएगा
कब चेहरे पर मुस्कान
 लाएगा
खुदा जाने
निरंतर सब्र रख रहा हूँ
सब्र का सिला देगा या नहीं
खुदा जाने
कब तक इम्तहान लेगा
यकीं उस पर बरकरार रखेगा
खुदा जाने
कब तक मेरी नियत ना
समझेगा
मुझे ना पहचानेगा 
पहचानेगा ज़रूर एक दिन
कब पहचानेगा ये भी
खुदा जाने
11-11-2011
1774-42-11-11

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