Tuesday, November 8, 2011

कैसे समझायें उन्हें?


हमें न कोई उम्मीद
ना चाहत उनसे  
निरंतर यूँ ही
याद नहीं आते
बस मन को भाते हैं
दिल को लुभाते हैं
हमें अपने से लगते हैं
लाख दिल को
समझाते  
खुद को रोक नहीं पाते 
उन्हें ख़त लिख देते हैं
उनका शक बढाते हैं
उनकी निगाहों में
और गिर जाते हैं
कैसे समझायें उन्हें?
समझ नहीं पाते
07-11-2011
1753-21-11-11

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