घर के
आँगन में बरसों से
खडा नीम का पेड़
अब बूढा होने लगा था
परमात्मा से
प्रार्थना में लीन था
कह रहा था
प्रभु कुछ ऐसा कर दे
इंसान सा
ना मरना पड़े मुझे
उम्र बीत गयी घर में
लोगों को
जन्म लेते फिर जाते
देखते
हँसते चेहरे कैसे
मुरझा जाते ?
निरंतर
बीमारी से झूझते झूझते
तिल तिल कर मर जाते
मरने से पहले ही
बार बार बार मरते
मुझे पता है
सबको जाना इक दिन
कुल्हाड़ी से कटवा देना
पर ऐसे तो ना भेजना
फिर जन्म लेने का
मन ही ना करे
23-11-2011
1811-82-11-11
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