उनके
अप्रतिम सौन्दर्य से
अभिभूत था
उनसे मिलने से पहले
मन में
सैकड़ों सपने संजोता
क्या क्या कहना है
मष्तिष्क में
सूची बनाता
मिलने पर जुबान को
लकवा मार जाता
मुंह से एक शब्द नहीं
निकलता
उनका निश्छल सरल
व्यवहार
निरंतर मेरे उनके
बीच में आता
मन का मनोरथ
मन में रहता
प्यार ह्रदय में दबा
रहता
मुझे एक शब्द भी
कहने ना देता
केवल मेरा मौन मेरा
साथ देता
12-11-2011
1785-56-11-11
1 comment:
बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण प्रस्तुती! बधाई!
Post a Comment