ना जाने क्यूं उन्हें
हमारी याद नहीं आती
कैसे इतना भी
कोई भूलता किसी को
हमें एक हिचकी भी
नहीं आती
चाहत की सारी बातें
ना जाने
कहाँ गुम हो जाती
एक तिनके सी
हवा में उड़ जाती
यहाँ निरंतर रातों की
नींद हराम होती
वहाँ बेफिक्री से
ज़िन्दगी जी जाती
ना जाने क्यूं उन्हें
हमारी याद नहीं आती
06-11-2011
1747-16-11-11
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