फूल तो बहुत देखे
अब तक
पर तुम्हारी सी
महक नहीं थी उनमें
साज़ तो बहुत सुने
तुम्हारी आवाज़ सी
खनक नहीं थी उनमें
चेहरे भी बहुत देखे
पर तुम्हारी सी
खूबसूरती नहीं थी उनमें
दिल बहुतों से लगाया
पर मन भरा नहीं उनसे
निरंतर भटकता रहा
पर मुकाम मिला नहीं
अब तक
जब से तुम्हें देखा
मंजिल
नज़र आ गयी मुझे
अब तुम्हारे बिना
सुकून
मिलेगा नहीं मुझे
10-11-2011
1770-38-11-11
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