Thursday, November 10, 2011

फूल तो बहुत देखे अब तक


फूल तो बहुत देखे
अब तक
पर तुम्हारी सी
महक नहीं थी उनमें
साज़ तो बहुत सुने
तुम्हारी आवाज़ सी
खनक नहीं थी उनमें
चेहरे भी बहुत देखे 
पर तुम्हारी सी
खूबसूरती नहीं थी उनमें
दिल बहुतों से लगाया
पर मन भरा नहीं उनसे
निरंतर भटकता रहा
पर मुकाम मिला नहीं
अब तक
जब से तुम्हें देखा
मंजिल
नज़र आ गयी मुझे   
अब तुम्हारे बिना
सुकून
मिलेगा नहीं मुझे
10-11-2011
1770-38-11-11

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