सुकून चाहा
मिल ना सका
जितना खोजा उतना
उलझता गया
कईओं से सहारा माँगा
दिलासा सब ने दिया
कंधा किसी से ना मिला
हर इंसान को खुद में
डूबा पाया
क़त्ल नहीं किया
फिर भी सबको मुझ में
कातिल नज़र आया
निरंतर
कोशिशों के बाद भी
रास्ता ना निकल पाया
खुद को चौराहे पर
खडा पाया
06-11-2011
1749-18-11-11
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