Tuesday, November 8, 2011

तुम्हें कहे बिना रह भी ना पाऊँ


तुम्हें
तकलीफ भी देना
ना चाहूँ
तुम्हें कहे बिना रह भी
ना पाऊँ
हम तो सह रहे हैं
तुम्हें सहना ना पड़ें
कैसे तुम्हें अपने दर्द
बताऊँ?
कोई और समझ
नहीं सकता
सुकून दे नहीं सकता
निरंतर मन में चल रहे
असमंजस को कैसे
मिटाऊँ ?
08-11-2011
1758-26-11-11

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