तुम्हारी
खुशबू दिल में बसी
तुम्हारी
बातें जहन में छायी
तुम जुदा हो गयी
मगर
तुम्हारी आदत नहीं गयी
मेरी तो
ज़िन्दगी तबाह हो गयी
तुम्हारी
शिकायत नहीं गयी
पराया
समझ मुंह फिराती हो
निरंतर सताती हो
जी भर के रुलाती हो
रुस्वा होने के बाद भी
तुम्हारी
शरारत नहीं गयी
04-11-2011
1745-14-11-11
No comments:
Post a Comment