निरंतर
तेरा ये हाल
ना होता
गर तूँ बेदिल होता
तेरा दिल किसी को
देख कर ना धड़कता
ना किसी पर जाँ
निसार करता
ना बेकरार रहता
ना यादों में खोता
ना रातों को जागता
ना दिल से दिल
लगाता
ना बार बार टूटता
बिना मोहब्बत करे
जीता रहता
ज़िन्दगी का मकसद
भूल जाता
खुशकिस्मत समझ
खुद को
तूँ मोहब्बत की कीमत
समझता
11-11-2011
1777-48-11-11
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