Friday, November 11, 2011

गर तूँ बेदिल होता


निरंतर
तेरा ये हाल
ना होता
गर तूँ बेदिल होता
तेरा दिल किसी को
देख कर ना धड़कता
ना किसी पर जाँ
निसार करता
ना बेकरार रहता
ना यादों में खोता
ना रातों को जागता
ना दिल से दिल
लगाता
ना बार बार टूटता
बिना मोहब्बत करे
जीता रहता
ज़िन्दगी का मकसद
भूल जाता
खुशकिस्मत समझ
खुद को
तूँ मोहब्बत की कीमत
समझता
11-11-2011
1777-48-11-11

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