Monday, November 14, 2011

तुम्हें देखा तो नहीं


तुम्हें देखा तो नहीं
फिर भी तुम्हें देखा सा
लगता मुझको
पास होने का
अहसास होता मुझको
तुम्हारा नाम मेरे
जहन में रहता
लबों से बुदबुदाता
रहता
ख्यालों में चेहरा
अंदाज़ से बनाता
रहता
नहीं जानता
कब मिलोगे मुझसे
पर निरंतर तुम्हारा
ख्याल 
 मुझे सुकून देता
तुम्हें देखा तो नहीं
फिर भी तुम्हें 
देखा सा लगता 
मुझको
13-11-2011
1786-57-11-11

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