Tuesday, November 8, 2011

किस रात के ख्वाब सुनाऊँ? हर रात के ख्वाब सुहाने


  किस रात के ख्वाब सुनाऊँ? 
हर रात के ख्वाब सुहाने
वो सब मिले ख़्वाबों में
निरंतर
बरसों से जो दिल में बसे
बने हर रात नए अफ़साने
पर मिले नहीं किसी के
पते ठिकाने
गुम हो गए रात के साथ
छुप गए सवेरे आते आते
छोड़ गए यादों के मंजर
मेरे लिए
किस रात के ख्वाब सुनाऊँ?
हर रात के ख्वाब सुहाने    
06-11-2011
1752-21-11-11

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