Thursday, November 10, 2011

जीना मरना अब तुम्हारे हाथ है


मुझे
मोहब्बत का
बुखार है
तुम्हारा घर ,
अब अस्पताल है
तुम चारागर
मैं बीमार हूँ
तुम ही वजह
तुम ही दवा
तुम ही इलाज हो
अब मेरे बस में
कुछ भी नहीं
जीना मरना अब
तुम्हारे हाथ है
निरंतर
बीमार रखो
या ठीक करो
अब फैसला भी
तुम्हारे हाथ है
(चारागर = डाक्टर, चिकित्सक)
09-11-2011
1764-32-11-11

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