Tuesday, May 31, 2011

विडंबना


खिड़की के
बाहर देखता हूँ 
निरंतर
हरा दिखने वाला पेड़
आज पीला लग
रहा था
बुलबुल का जोड़ा
खामोश बैठा है
कुछ लोग
मेरे चारों तरफ खड़े हैं
कोई भी हंस नहीं रहा
सबके चेहरे उदास  हैं
शरीर में दर्द और
हाथों में
चुभन हो रही है
नज़र डाली तो
 शरीर पट्टीयों से ढका था
ड्रिप चढ़ रही थी
समझ में आ गया
अस्पताल के पलंग पर
पडा हूँ
तभी धीरे से किसी को
बोलते सुना
होश में आ गए हैं
लगता है बच जायेंगे
सड़क पर घायल पड़े थे
भला हो ट्रक वाले का
जो अस्पताल लेकर आया
किसी को पता नहीं  था
किस्मत ने बचाया था
अस्पताल के बाहर
तडके ट्रक की टक्कर से ही
घायल हुआ था
ट्रक वाला तो
ट्रक को भगा कर ले
गया था
31-05-2011
972-179-05-11

मेरा छोटा सा कमरा


मेरा छोटा सा कमरा
किसी महल से भी
प्यारा लगता
हर दीवार ,खिड़की
घड़ी और कैलंडर
कौने में मेज
जिस पर लिखता पढता
खिड़की के बाहर
लहलहाता गुलमोहर
उस पर बैठा
फाख्ता का जोड़ा भी
मुझे अपना लगता
बरसों पुराना पलंग
गहरी नींद में सुलाता
सब मेरे जीवन का हिस्सा
अँधेरे में भी क्या कहाँ पडा
सब दिखता उसमें
एक अजीब सा सुकून
मिलता उसमें
मेरा कमरा
अब रहने की जगह नहीं
जीने का साधन हो गया
मेरा मन उसमें बस गया
मोह सिर्फ जीवों से होता
मेरा भ्रम टूट गया
चालीस वर्षों से रहते रहते
मेरा कमरा मेरा सबसे
करीबी रिश्तेदार हो गया
मेरा दिल कहता
जो आनंद निरंतर मुझे
मेरे कमरे में आता
वो कहीं और नसीब
ना होगा
उसके बिना जीवन
अधूरा लगेगा
31-05-2011
968-174-05-11

Monday, May 30, 2011

All India Train Information

 भारत में किसी भी ट्रेन का समय,स्थिती,रिजर्वेशन,कितनी देर से आ रही है,दो स्टेशनों के बीच की दूरी एवं अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के लिए एक अच्छी वेबसाईट

All India Train Information

अब उनसे मिलना चाहता

अब उनसे
मिलना चाहता
आँखों से देखना
चाहता
उनकी आवाज़ को
कानों से
सुनना चाहता
निरंतर
नाम उनका सुना
हर शख्श उनकी
तारीफ़ करता
हर बात में ज़िक्र
उनका होता
बिना मिले ही दिल
उनको दे दिया
अब उनसे प्यार
हो गया  
जहन में अब ख्याल
उनका ही रहता
उनसे मिलना अब
मकसद हो गया
सुकून का दूसरा
नाम हो गया   
    30-05-2011
964-171-05-11