Wednesday, May 25, 2011

दिखाने को हंसता हूँ


कभी रोना चाहूँ
तो भी
आंसू नहीं निकलते
आते आते ठहर जाते
कैसे खुद को
कमज़ोर दिखाऊँ ?
जो रो रहे 
उम्मीद से
मेरी तरफ देख रहे
उन्हें हिम्मत दिलानी है
निरंतर होंसला अफज़ायी
उनकी करनी है
उम्मीद उनकी कायम
रखनी है 
कैसे उन्हें बताऊँ
मैं भी व्यथित हूँ ?
मन ही मन में रोता हूँ
दिखाने को हंसता हूँ
25-05-2011
926-233-05-11

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