Wednesday, May 11, 2011

वक़्त काटना मजबूरी हो गया

अचानक
नज़र उस पर पडी
आँखें अटक गयीं
पलकें खुली रह गयीं
बंद होने का नाम
नहीं ले रहीं
मोहिनी सूरत उसकी
आँखों में बस गयी
गंदुमी रंग,
तीखा नाक नक्श,
सुर्ख काले बालों ने
दिल मोह लिया
बिना जान पहचान
दिल उसका हो गया
उसने देखा मुस्करा कर 
बालों को  झटका  दिया
और मुंह  मोड़  लिया
झट से खिड़की का
दरवाजा बंद किया
तब से निरंतर
उस सड़क पर निकलना
खिड़की खुले,वो दिख जाए
दो बातें हो जाए
इस इंतज़ार में
घंटों खडा रहना
खुदा की इबादत सा
ज़रूरी हो गया
शाम को मुंह लटका कर
लौटना
आदत में शुमार हो गया
कभी तो खिड़की खुलेगी
वो फिर दिखेगी
इस उम्मीद में
वक़्त काटना मजबूरी
हो गया
11-05-2011
836-43-05-11

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