Saturday, May 14, 2011

अब गिद्द भी सफेदपोश हो गए

गिद्द बदल गए
पहले मरे जानवरों का
मांस खाते थे
हर गाँव के बाहर
मंडराते थे
आकाश की ऊंचाइयों से
नयी लाश को ताड़ लेते
अब ज़िंदा को भी नहीं
छोड़ते
 अब गिद्द कम दिखते
मुश्किल से पहचाने
जाते
निरंतर वेश बदल
कर रहते
किस पर नज़र है ?
पता नहीं चलने देते
चुपके से वार करते
अब गिद्द भी 
सफेदपोश हो गए
14-05-2011
855-62-05-11

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