Thursday, May 19, 2011

कई मंज़र देखे इन आँखों ने

कई मंज़र देखे
इन आँखों ने
हँसते मुस्काराते ,
गम में डूबे रोते चेहरे
देखे इन आँखों ने
कुदरत के कई नज़ारे
देखे इन आँखों ने
महकते फूल,उड़ते पंछी
बहते झरनों का
सुख लिया इन आँखों ने
गम और खुशी के अश्क
बहाए इन आँखों ने
हर रोज़ कुछ नया देखा
इन आँखों ने
दिल-ओ-दिमाग के 
हालात बयाँ किये 
इन आँखों ने
जान है जब तक
कई मंज़र निरंतर देखने
इन आँखों को
19-05-2011
892-99-05-11

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