Sunday, May 8, 2011

बहुत कुछ के खोने बाद ,दुनिया को समझ गया

कभी हंसता था
आसमान में उड़ता था
बहते पानी सा बहता था
निरंतर बेख़ौफ़ जीता था
वक़्त का पता ना चलता
हर शख्श अपना लगता
हालात बदलने का
अहसास ना हुआ
सब कुछ पलट गया
लोगों से घिरा था
अब खुद में सिमट गया
हर लम्हा
पहाड़ सा लगता 
ज़िन्दगी की हकीकत से
रूबरू हो गया
बहुत कुछ खोने के बाद 
दुनिया को समझ गया
08-05-2011
824-31-05-11

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