Tuesday, May 17, 2011

हर ऋतु मिलन ऋतु हो जाए

 वर्षा ऋतु का
आना 
पानी की बौछारें
मंद हवा का बहना
पेड़ों के पत्त्तों का
धुलना
हर दिल में
मिलन इच्छा का
जगना 
इंतज़ार पहले भी था
आज भी है
कोई आये साथ
वर्षा में नहाए
अठखेलियाँ करे
मिलने के खातिर
मौसम का इंतज़ार
ना कराए
निरंतर हर ऋतु
मिलन ऋतु हो जाए
17-05-2011
879-86-05-11

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