Wednesday, May 11, 2011

मुरझाये फूल को कौन देखता?

 मुरझाये फूल को
   कौन देखता?
 सुगंध उस की कौन
सूंघता?
कभी आँखों का तारा था
बगिया का चेहरा था
अब मुरझा गया
झुर्रियों से भर गया
अब उसे कौन देखता?
जीवन का यही चलन
संसार का यही नियम 
उगते सूरज को नमन
अस्त को कौन पूजता?
मुरझाये
फूल को कौन देखता ?
नयी कलियाँ सब को
मोहती
खिले फूल की छवि
लुभाती
खुशबू उसकी निरंतर
भाती
मुरझाये फूल को कौन
देखता?
आने वाले का इंतज़ार
 सब को रहता 
जाने वाले को कौन
पूंछता?
11-05-2011
838-45-05-11

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