Wednesday, May 4, 2011

हँसते हँसते जिबह कर गए


निरंतर
मोहब्बत की कसमें
खाते थे
क्या ऐसा हुआ की
मिजाज़ तुम्हारे
बदल गए
मुझ से रुस्वां हुए
जीते जी मार गए
क्या गुनाह किया
ये तक ना बता गए
हसरतें पूरी होने से
पहले मिटा गए
हँसते हँसते
जिबह कर गए
04-05-2011
806-13-05-11

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