Saturday, May 7, 2011

क्यों ना मैं ही पहल करूँ ?


हर तरफ फ़ैली
गंदगी क्यों देखूं ?
भ्रष्टाचार के किस्से 
क्यों सुनूं ?
मार काट की खबरें
क्यों पढूं ?
क्यों इंतज़ार किसी और
का करूँ ?
कोई और करेगा
यह सोच कर क्यों
बैठा रहूँ ?
औरों की तरह चुपचाप
देखता रहूँ
क्यों ना मैं ही पहल
करूँ ?
कुछ गंदगी मैं भी साफ़
करूँ
भ्रष्टाचार से लड़ाई लडूँ
निरंतर
बढ़ रही नफरत को
कम करूँ
सोते हुओं को
जगाऊँ
06-05-2011
818-25-05-11

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