हम जानते तुम्हारी
तकलीफ क्या है
निरंतर मुस्काराता
चेहरा मुरझाया हुआ
क्यूं है ?
दर्द-ऐ दिल से परेशाँ
हो तुम
अपने साहिल से दूर
हो तुम
हम भी गुजर रहे इसी
मुकाम से
दूर हैं अपने साहिल से
फर्क इतना सा है
हमें पता है
हमारे साहिल का
तुम अनजान उस से हो
अब देख नहीं सकते
तुम्हें बदहाली में
बताना ही पडेगा
राज़-ऐ-दिल तुम्हें
तुम्ही मंजिल
तुम्ही साहिल हमारे
जब जान ही गए हो
रंजों गम दूर कर लो
हमें कबूल कर लो
15-11-2011
1792-63-11-11
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