Wednesday, November 23, 2011

क्षणिकाएं -6


मजबूरी
करना नहीं चाहता
फिर भी करना पड़ता
*****
अंतर्द्वंद्व
करूँ तो
मन खुश नहीं होगा
नहीं करूँ तो
दूसरों को नाराज़
करना होगा
*****
विडंबना
मैं उन्हें बहन
समझता
वो मुझे शक से
देखती
*****
खुश
मैं रोज़ सपनों में
उनको देख लेता हूँ
थोड़ी देर खुश हो
लेता हूँ

*****
दिल में
दिल में बहुतों के लिए
कुछ होता रहता है
मजबूरी में
इंसान खामोश
रहता है

*****

बदकिस्मती
उनका
इंतज़ार करते करते
सो गया
जब तक जागा
वो आकर चले गए
23-11-2011
1810-81-11-11

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