मजबूरी
करना नहीं चाहता
फिर भी करना पड़ता
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अंतर्द्वंद्व
करूँ तो
मन खुश नहीं होगा
नहीं करूँ तो
दूसरों को नाराज़
करना होगा
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विडंबना
मैं उन्हें बहन
समझता
वो मुझे शक से
देखती
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खुश
मैं रोज़ सपनों में
उनको देख लेता हूँ
थोड़ी देर खुश हो
लेता हूँ
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दिल में
दिल में बहुतों के लिए
कुछ होता रहता है
मजबूरी में
इंसान खामोश
रहता है
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बदकिस्मती
उनका
इंतज़ार करते करते
सो गया
जब तक जागा
वो आकर चले गए
23-11-2011
1810-81-11-11
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