Wednesday, November 2, 2011

सुबह नौ बजे


सुबह नौ बजे का
वक़्त
मुझे काटने को
दौड़ता है
यही वक़्त तो था
जब उनका
मेरे घर के सामने से
गुजरना होता था
निरंतर मुस्कारहटों
का आदान प्रदान
होता था
यही वक्त तो था
जब मेरी तरफ
देखते हुए
उन्हें ख्याल ना रहा
उनका पैर फिसल
गया
बस ने उन्हें कुचल
दिया
मेरे हाथों में उन्होंने
दम तोड़ा
नौ बजे का वक़्त
क्यों आता है ?
इसके आने से पहले ही
दिल धड़कने लगता है
नौ बजे का वक़्त
मुझे काटने को
दौड़ता है
01-11-2011
1735-04-11-11

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