Monday, November 14, 2011

क्षणिकाएं -2


हँसी
हँस तो लिए
हँसाया क्यों नहीं ?
ये भी सोचा कभी
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"मैं"
मेरी "मैंने
मुझ को मारा
ख्याल करो
तुम्हारी "मैं"
तुम्हें मारेगी
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सत्य -विचार
सत्य होता है
इसलिए विचार आते हैं
सत्य नहीं होता तो
विचार भी नहीं आते
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रोना
आंसूओं का
आँखों से
क्या लेना देना
अंधे भी रोते हैं
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भावनाएं
भावनाएं आंसू
बन कर बहती हैं
मनोस्थिती
दर्शाती हैं
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सत्य -झूठ
सत्य  के  बिना
झूठ अर्थहीन
झूठ के बिना
सत्य अर्थहीन
एक दूसरे के बिना
दोनों अस्तित्वहीन
13-11-2011
1787-58-11-11

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