Thursday, November 24, 2011

कितना भी दूर रहो नज़रों से


कितना भी
दूर रहो नज़रों से
हमें दिल के पास
पाओगे
हम कद्रदां तुम्हारे
इतने बेदिल नहीं
रुसवा
हो जाएँ  तुमसे
निरंतर तुम्हें मंजिल
समझा
तुम्हें पाए बिना कैसे
रास्ते से भटक जाए
24-11-2011
1816-87-11-11

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