Sunday, September 23, 2012

तुम्हारी ज़िन्दगी में,मैं कहाँ पर हूँ



तुम्हारी ज़िन्दगी में
मैं कहाँ पर हूँ
ना पहले कभी पूछा
ना आज पूछ रहा हूँ
मैं तो पहले भी
तुम्हारा दीवाना था
आज भी
तुम्हारा दीवाना हूँ
बस इतना सा फर्क
आया है
जब तक तुम्हें
कोई और नहीं मिला था
तुम मुस्काराकर
मेरी बातों को सुनती थी
अब मेरी तरफ
देखती तक नहीं हो
मुझे पता नहीं था
तुम वक़्त 
गुजार रही हो
751-47-23-09-2012
ज़िन्दगी,दीवाना ,दीवानापन 


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