Monday, April 8, 2013

जब भी करता हूँ दोस्ती किसी से



जब भी करता हूँ
दोस्ती किसी से
शक्ल-ओ-सूरत नहीं देखता
जो भी दिल को भा गया
उसे ही दोस्त बना लेता
ना देखता हूँ उम्र उस की
जिसने भी मन को लुभाया
उसे ही दोस्त बना लेता
ना देखता धन दौलत
ना देखता मर्द औरत
जो भी देता मुझे सुकून
खुदा का अक्स समझ कर
उसे ही दोस्त बना लेता
न सोचता कभी
क्या देगा ,क्या देना पडेगा
जो करता नहीं हिसाब
दोस्ती में
उसे ही दोस्त बना लेता
16-72-08-02-2013
दोस्त,दोस्ती,उम्र,जीवन ,मित्र,मित्रता 
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

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