Thursday, September 20, 2012

ऋण



लोगों को
गलतियाँ करते देखा
बाद में व्यथित होते
पछताते देखा
तो रहा नहीं गया
सोचा
क्यों ना जीवन का
अनुभव बाँट दूँ
अपने से छोटों को
जीवन का अर्थ समझा दूँ
आने वाले पचड़ों से
बचा दूँ
उनका जीवन सुखद
बना दूँ
मन से आगे बढ़ कर
लोगों को सीख देने का
समझाने का प्रयत्न किया
किसी को मेरा कृत्य
पसंद नहीं आया
उलटा मंतव्य पर
प्रश्न उठाया गया
शक से देखा गया
जानता नहीं
पहचानता नहीं फिर
बिना मांगे ही
क्यों निस्वार्थ मदद
कर रहा हूँ
कई बार खून का घूँट
पीना पडा
अपमान सहना पडा
सोचा बिना मांगे
सलाह देना उचित नहीं
तो क्यों ना आदत छोड़ दूँ
बार बार के अपमान से
मुक्त हो जाऊं
गहन सोच के बाद
निर्णय लिया
मैं ऐसा ही करता रहूँगा
मेरे अनुभव से
किसी एक का भी भला
कर पाया तो
मन को संतुष्टी मिलेगी
अनुभव बांटने के
उद्देश्य को पूरा मानूंगा
जो मैंने
अनुभवी लोगों से सीखा
उनका ऋण कुछ तो
कम कर पाऊंगा
744-40-20-09-2012

1 comment:

Dr,Neha Nyati said...

wonderful!!!!!!pointing an entirely different attitude.....