Tuesday, February 21, 2012

वो साथ जो नहीं था...

एक और सुबह हुयी
चिड़ियाएं चहचहाने लगी
नर्म धूप धरती को
नहलाने लगी
कलियाँ खिलने लगी
जो बातें उसे निरंतर
खुश करती थी
आज नहीं भा रही थी 
चेहरा आज भी
कल की तरह उदास था
मन को चैन नहीं था
ह्रदय भी खुश नहीं था
वो साथ जो नहीं था
21-02-2012
216-127-02-12

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