Saturday, February 11, 2012

चाहे मंदिर जाओ या मस्जिद जाओ


ना कर्मों की  
सज़ा होती
ना ही कोई  
पुरस्कार होता
केवल परिणाम
होता
सपनों की दुनिया से
बाहर आ जाओ
पुरस्कार की चाहत में
कुछ ना करो
केवल
परिणाम से डरो
चाहे मंदिर जाओ या
मस्जिद जाओ
कुछ फर्क नहीं पड़ता
बस इतना से जान लो
इश्वर से
कुछ नहीं छुपता 
बस वैसा ही करो
जैसा उसको अच्छा
लगता
11-02-2012
152-63-02-12

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