Sunday, August 25, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: कभी लहकता था

"निरंतर" की कलम से.....: कभी लहकता था: कभी लहकता था फलता था फूलता था हवाओं में झूमता था राहगीरों को छाया पक्षियों का बसेरा था उम्र के अंतिम दौर में   ना चेहरे पर हँसी थी...

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