Saturday, August 10, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: तमन्नाओं के बाज़ार में

"निरंतर" की कलम से.....: तमन्नाओं के बाज़ार में: तमन्नाओं के बाज़ार में दुकानें तो बहुत सजाई मैंने मगर  खरीददार नहीं  आया कोई  जो भी आया बेचैनी  बेच गया  बदले में सुकून ले गया...

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