Sunday, August 25, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: चांदनी चाहती तो बहुत है

"निरंतर" की कलम से.....: चांदनी चाहती तो बहुत है: चांदनी चाहती तो बहुत है चाँद को छोड़ संसार में बस जाए हर रात आकाश से उतरना ना पड़े वृक्षों,नदियों,पहाड़ों , सागर,धरती धोरो...

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