Wednesday, August 14, 2013

"निरंतर" की कलम से.....: अब केवल चलती है जुबान

"निरंतर" की कलम से.....: अब केवल चलती है जुबान: (फौज और फौजियों की जांबाजी पर ) फडकती थी बाहें कभी चलती थी तलवार उगलती थी आग जान नहीं ले तब तक करती नहीं विश्राम राजा हो या प्रजा हो...

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