Sunday, August 26, 2012

कुली



खुद की ज़िन्दगी का
बोझ कम करने के लिए
ज़िन्दगी भर
दूसरों का बोझ
उठाता
नहीं देखता
हिन्दू या मुसलमान
राजा या रंक
उसे तो मतलब है
ज़िंदा रहने के लिए
बोझ उठा कर
मिलने वाले  कुछ पैसों से
सवेरे का उजाला हो
या रात का अन्धेरा
बोझ उठाने को ना मिले तो
चेहरा रूआंसा हो जाता
उम्र कितनी भी हो जाए
हँसते रहने के लिए
बोझ उठाना ज़रूरी है
उत्तर से दक्षिण तक
पूरब से पश्चिम तक
हर रेलवे स्टेशन पर
मिलने वाला
लाल कमीज़
सफ़ेद पाजामे वाला
वो हमारा कुली है
26-08-2012
697-57-08-12

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