Tuesday, August 21, 2012

जीवन का बदलता रंग



मकान जैसे 
परिवार की दीवारों का
चमकता,दमकता
सब से खूबसूरत रंग
होता था
समय के अंतराल में
नए नए कमरे बनते गए 
दिन पर दिन
मेरा रंग फीका
पड़ता गया
अपनी आभा खोता गया
रिश्तों से विश्वास
पपड़ी सा खिरता गया
अब बस इंतज़ार है
कब दीवारों का रंग
बदल दिया जाएगा
चमकता हुआ
नया रंग चढ़ा जाएगा
   नए रंग के सामने
फीका पड़ता जाऊंगा
समय के साथ
नेपथ्य में छुप जाऊंगा
21-08-2012
670-30-08-12


No comments: