Tuesday, August 21, 2012

तनहा हूँ भी तनहा नहीं भी



रोज़ दिखते हैं नए नए चेहरे
दिखते नए नए नए मंज़र भी

मिलता हूँ नए नए लोगों से
देखता हूँ नए नए नज़ारे भी

दिखते तो साए भी हैं रोज़ हमें
कभी निभाते नहीं साथ वो भी

इतनी भीड़ में भी अकेला हूँ 
तनहा हूँ भी तनहा नहीं भी
21-08-2012
671-31-08-12

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