ज़िन्दगी में
बस
एक ही गिला
मुझे
जिससे मुझे
नहीं गिला
उसे गिला मुझसे
यूँ तो मिले सफ़र में
लोग बहुत मुझे
अब तक कोई ना
मिला
जो समझ सके
मुझ को
हर शख्श को
चाहिए था
कुछ ना कुछ
जिसे मिल गया
वो अब भी साथ
मेरे
जिसे नहीं दे
सका
उसके मन का
वो ही अब दुश्मन
मेरा
03-08-2012
647-07-08-12
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