खुद नफरत से
जीते हो
बात बात पर रूठते हो
रुसवा होने की धोंस
देते हो
हम से वफ़ा की
उम्मीद
करते हो
निरंतर
अंगारे
बरसाते हो
हमसे फूलों का
गुलदस्ता चाहते हो
ये क्यों नहीं समझते?
दोस्ती में निरंतर
लेने से
ज्यादा देना पड़ता
दुश्मन
आसानी से मिलते
दोस्त
किस्मत वालों को
मिलते
दोस्ती में सौदा मत करो
दोस्ती की कद्र करो
इलज़ाम
लगाना बंद करो
26-08-2012
698-58-08-12
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