हमें क्या पता था
उनकी अदाओं पर
मर मिटेंगे हम
सुकून की ज़िन्दगी में
उबाल लायेंगे हम
हमने तो यूँ ही तारीफ़
मैं उन्हें
दिल-ऐ-ख़ास कह दिया
उन्होंने हकीकत में
दिल ही हमें दे दिया
हम ठहरे नामुराद इतने
उन्हें हकीकत से
वाकिफ करा दिया
अब ना सो पाते हैं
ना जाग पाते हैं
हर लम्हा उन्हें
उनकी अदाओं पर
मर मिटेंगे हम
सुकून की ज़िन्दगी में
उबाल लायेंगे हम
हमने तो यूँ ही तारीफ़
मैं उन्हें
दिल-ऐ-ख़ास कह दिया
उन्होंने हकीकत में
दिल ही हमें दे दिया
हम ठहरे नामुराद इतने
उन्हें हकीकत से
वाकिफ करा दिया
अब ना सो पाते हैं
ना जाग पाते हैं
हर लम्हा उन्हें
मनाते हैं
वो मुंह फुलाए
वो मुंह फुलाए
बैठे हैं
21-08-2012
675-35-08-12
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