घर से बाहर
निकलते ही
एक लावारिस कुत्ता
मेरे पास आया
पूछ हिलाकर अभिवादन
एक लावारिस कुत्ता
मेरे पास आया
पूछ हिलाकर अभिवादन
करने लगा
मैंने भी उसे स्नेह से
मैंने भी उसे स्नेह से
पुचकार लिया
तीन वर्ष तक यही क्रम
तीन वर्ष तक यही क्रम
निरंतर चलता
रहा
समय एक साथ
समय एक साथ
हमारे बीच एक
अजीब सा रिश्ता
हो गया
वह घर के बाहर मेरा
इंतज़ार करता
किसी दिन वह नहीं
किसी दिन वह नहीं
दिखता
तो मन व्याकुल
होने
लगता
उसकी प्रतीक्षा करता
ना उसे मुझ से
ना उसे मुझ से
ना ही मुझे उससे कोई
आशा थी
हमारे मन का रिश्ता
हमारे मन का रिश्ता
दिन प्रतिदिन
प्रघाढ होता
गया
सांयकाल दफ्तर
से
घर लौटते
समय भी
मिलना आवश्यक
हो गया
अचानक
अचानक
समय ने पलटा
खाया
उसका दिखना बंद हो गया
कई दिन
उसका दिखना बंद हो गया
कई दिन
व्याकुल व्यथित
रहा
फिर भी उसे भूल ना पाया
पर एक प्रश्न ने
फिर भी उसे भूल ना पाया
पर एक प्रश्न ने
मन में जन्म
अवश्य दे दिया
क्यों इंसान हर रिश्ते को
क्यों इंसान हर रिश्ते को
नाम देता
रिश्तों में
मंतव्य ढूंढता
उन्हें शक से देखता
जब भी उस लावारिस
उन्हें शक से देखता
जब भी उस लावारिस
कुत्ते की याद
आती है
आँखें नम हो
जाती हैं
इंसानी रिश्तों की स्थिती
इंसानी रिश्तों की स्थिती
देख कर
मन में अजीब
सी टीस
उठने लगती है
03-08-2012
642-02-08-12
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