तुम ही बताओ
कैसे ख्यालों को
ज़हन में आने
से रोकूँ
कैसे ख़्वाबों
को खुद से
दूर रखूँ
इतना तंगदिल
भी नहीं
मेहमान को आने
ही ना दूं
ये बात जुदा
है
मेहमान पसंद
का मेरा
दिल से चाहता
उसे
हकीकत में
बुलाने से भी
नहीं आता
ख्यालों ख़्वाबों
में
बिना बुलाये
भी आ जाता
शायद मोहब्बत
को
ज़माने से छुपाना
चाहता
21-08-2012
679-39-08-12
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