किस बात से
घबराते हो तुम
क्यूं इतना
खौफ खाते हो
तुम
मुस्कारा कर
मिले थे
दिल से दिल
मिलाया
मन से मन मिलाया
अब पहचानते
तक
नहीं हो
वो तो चाहत
का
सौदा था
ये हक तो नहीं
दिया था
मेरे ज़ज्बातों
से खेलो
क्या ज़माने
का दस्तूर
निभाते हो तुम
?
05-08-2012
654-14-08-12
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