बरसात की छोटी
बूंदों के साथ
कुछ आहें भी गिरी होंगी ज़रूर
कुछ आहें भी गिरी होंगी ज़रूर
जो छोड़ गए ज़मीं
से साथ हमारा
उनके आंसू भी गिरे होंगे ज़रूर
जो बस गए जा कर ज़न्नत में
हमें याद करके रोते होंगे ज़रूर
उनके आंसू भी गिरे होंगे ज़रूर
जो बस गए जा कर ज़न्नत में
हमें याद करके रोते होंगे ज़रूर
21-08-2012
677-37-08-12
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