उस सीधी
सादी लडकी को
जिसके चेहरे
पर
कभी सौन्दर्य
प्रसाधन की
छाया भी नहीं
देखी
जो सदा साधारण
से
कपड़ों में
दिखती थी
आज मेरे घर के
दरवाज़े पर
सौन्दर्य की
प्रतिमूर्ती
बन कर खडी थी
किसी परी से
लग रही थी
मैंने जिज्ञासावश
पूछ लिया
इतना बन ठन कर
आयी हो
आज कोई
विशेष बात है
क्या
उसने
मुस्काराते हुए
सर झुकाया
फिर शर्माते
हुए
धीरे से बोली
आज जीवन में
अवर्णनीय खुशी
का
दिन है
बरसों से दबी
इच्छा
आज पूरी होगी
आप से पहली
बार
अकेले में
मुलाक़ात जो
होगी
14-05-2012
520-40-05-12
520-40-05-12
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