Sunday, May 13, 2012

सिसकियाँ


सदियों से उठ रही हैं
गरीब के दिल से
सिसकियाँ
पीढी दर पीढी
रुकी नहीं ये सिसकियाँ
दो जून रोटी के खातिर
चलती रहती हैं
सिसकियाँ
बचपन से बुढापे तक
बंद नहीं होती
सिसकियाँ
ज़िन्दगी का दूसरा नाम
हो गया सिसकियाँ
तारीख बदली
वक़्त बदला
रुकी नहीं ये सिसकियाँ
राजाओं ने देखा,
नवाबों ने देखा
करा कुछ भी नहीं
बंद करने के लिए
सिसकियाँ
13-05-2012
518-32-05-12

No comments: